Book Details


Abheepsa (Kavitha Sangrah)–Hindi Translated Poems of K. V. Dominic

Year Of Publish:



के. वी. डोमिनिक

 

 

अनुवाद

संतोष अलेक्‍स

 

 

 

 

 

आमुख

 

 

 

मेरी तीन अंग्रेजी कविता संग्रह “विंगड रीसन”(2010), “राइ्रट सन राईट” (2011) और “मल्‍टीकल्‍चरेल सिंफनी”(2014) में चुनी हुई कविताओं का हिंदी अनुवाद प्रस्‍तुत करते हुए मुझे खुशी हो रही है. इन कविताओं को हिंदी में प्रस्‍तुत करने के लिए डॉ संतोष अलेक्‍स का आभारी हूं.

 

      मेरे सा‍थ कविता देरी से हुई. 48 साल की उम्र में मैं कविताएं लिखने लगा. कारण यह है कि मेरी जिंदगी में किसी प्रकार की परेशानियां नहीं थी. जैसे कि जयंत महापात्र ने लिखा “कविता बुरे दिल से निकलती है एक दिल जो व्‍यक्ति को नेता या हारा हुआ बनाता है, जहां व्‍यक्ति को मूल्‍य एवं रवैया चुनने के लिए बाध्‍य करता है.”

सीमस हीनी, पोएट लोरेट सा मैं खुदी की कविताओं पर टिप्‍पणी करना चाहूंगा. एक कवि के रूप में मैं खुद की जमीर के प्रति उत्‍तरदायी हूं और मैं सामाजिक आलोचना द्वारा किसी संवेदना या संदेश को प्रस्‍तुत करना चाहता हूं. एक प्रोफेसर के रूप में छात्रों के प्रति, संपादक के रूप में शोधार्थी एवं लेखकों के प्रति एवं एक कवि के रूप में सारे मानव के प्रति मेरी वचनबद्धता है. अत: मैं कविता में शैली के बदले में सार को महत्‍व देता हूं. राबर्ट ब्राउन सा मैं कविता में विवादास्‍पद शैली का उपयोग करता हूं जो पाठकों को आकर्षित करती है.

केरल को गोडस आन कंट्री कहा जाता है. यहां काफी हरियाली है और यहां की प्राकृतिक सुंदरता इसे अन्‍य राज्‍यों से अलग करती है और दुनिया के सभी देशों से सैलानी यहां आते हैं. यहां सब साक्षर हैं और ज्‍यादातर युवा स्‍कूल कॉलेज जाते हैं.यहां के लोग पश्चिम से प्रभावित हैं और उनका नकल करते हैं. यहां धर्म हर जगह हावी है. यहां के लोगों को रोटी, कपड़ा और मकान नहीं बल्कि आत्‍मा मायने रखता है.

भारत के ज्‍यादातर लोग गरीब है और एक वक्‍त की रोटी से वंचित है. इनका दैनिक आय एक डालर से कम है. धार्मिक नेता यह सिखाते हैं कि गरीबों को आहार देने की जिम्‍मेदारी धर्म का नहीं सरकार का है. धर्म का काम प्‍यासी आत्‍माओं को बचाना है. ये धार्मिक नेता इस बात पर गौर नहीं करते कि तंदुरूस्‍थ शरीर में ही आत्‍मा बसती है. धर्म के सहयोग से गरीबी मिटाई जा सकती है. धर्म लोगों के मन में घृणा के बदले दया का भाव पैदा करें.

मेरी कविताओं का प्रमुख सार प्रकृति, मनुष्‍य और ईश्‍वर है. मेरे लिए यह दुनिया बड़ा कंसर्ट या सिंफनी है. सारी सृष्टि अपनी भूमिका निभाते हैं. मेरे लिए विज्ञान और धर्म एक सिक्‍के के दो पहलू हैं. मनुष्‍य सबसे अंतिम खोज है. उसे दूसरे को एवं जीव जंतुओं का सम्‍मान करना चाहिए. मनुष्‍य अपनी बुद्धि को सकारात्‍मक कामों के बजाय नकारात्‍मक कामों के लिए उपयोग करता है. यह विडंबना की बात है कि मनुष्‍य जितना बुद्धिमान और पढा लिखा होता है उतना ही क्रूर और कुटिल होता है. हालांकि इसाई के रूप में मेरा बपतिस्‍मा हुआ, मैं आखिरकार भारतीय हूं और अध्‍यापक एवं कवि के नाते मेरा कर्तव्‍य है कि मैं अपने छात्रों एवं देशवासियों में भारतीय मूल्‍यों की सीख दूं.  मैं जीवात्‍मा और परमात्‍मा में विश्‍वास करता हूं और अहं ब्रहमास्‍मि में भी विश्‍वास करता हूं.  मुझे अद्वैत द्वैत से भी स्‍वीकार्य है. इसलिए मैं मनुष्‍य, ईश्‍वर और प्रकृति द्ववारा घनिष्‍ठ संबंध पाता हूं.

       मनुष्‍य को दूसरों को मारने एवं प्रकृति को नष्‍ट करने का अधिकार नहीं है. लोग आज भौतिक सुख सुविधाओं के पीछे दौड़ रहे हैं और उनमें जो पवित्रता थी वह नष्‍ट हो रही है. दूसरे सहजीवियों को प्‍यार करने के बजाय वह उनका शोषण करता है. धार्मिक, राजनेताओं का काम है कि वे लोगों में खो चुके मूल्‍यों को लौटाए. इसके बजाय ज्‍यादातर नेता माफिया बन गए हैं और लोगों में घृणा भाव पैदा करते हैं. नेता भ्रष्‍ट हैं.

मेरी लेखन का उददेश्‍य भ्रष्‍ट समाज को राह दिखाना है, खासकर युवकों को. आज के युवक गलत राह पर चल रहे हैं. उनको सही मार्ग दिखाने के लिए न कोई मसीहा है या रोल मोडल.

इस किताब में इकतीस कविताएं हैं. पहली कविता मोहम्‍मद राफी के प्रति श्रद्धांजलि है. वे मेरे बहुत प्रिय है और कॉलेज के दिनों से ही मैं उन्‍हें चाहता था . मेरी राय में कोई उसका प्रतिस्‍थापन नहीं कर सकता. “राहुल की दुनिया” में बच्‍चों पर होनेवाले अत्‍याचार का विवरण है. ईश्‍वर के म पर धर्म के नाम पर होनेवाली बातों का जिक्र है. “ओम“ कविता में ओम जो दुनिया की सबसे पहली आवाज थी, उस पर चर्चा है. “ज्‍योतिशास्‍त्र“ में ज्‍योतिशास्‍त्र के बहाने लोगों को ठगने की बात उठाई है. “भारत न 1” में भारत के विकास पर करारा व्‍यंगय है. ”मैं केवल आम का पेड हूं“ में प्रकृति के पक्ष में बातें कही गई है. “काश मैं वापस लौटता“ अंतिम कविता है जहां से पुन: बीते पलों को जीने की इच्‍छा करता हूं.

मैं आर्थस प्रस के प्रकाशक,श्री सुदर्शन केचेरी के प्रति आभारी हूं जिन्‍होंने यह काव्‍य संग्रह हिंदी में प्रकाशित करने का बीड़ा उठाया है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

        

 

 

अनुक्रम

 

 

  1. मोहम्‍मद राफी को श्रद्धांजलि
  2. फूलों का दूकान
  3. राहुल की दुनिया
  4. सुख दु:ख
  5. ईश्‍वर के नाम पर
  6. मेरे बच्‍चे का रूदन
  7. किशोरावस्‍था
  8. एक आनंदमय यात्रा
  9. ओम
  10. अम्मिनी की मृत्‍यु
  11. कैसा जन्‍म
  12. वृंदा
  13. सूर्यग्रहण
  14. जन्‍मकुंडली
  15. संरक्षण
  16. हाथी सनक
  17. भारत नं 1
  18. जात के पागल
  19. अधूरे सपने
  20. मेरे गुसलखाने में मकड़ी

 

 

 

 

 

 

 

 

 

  1. मैं कौन हूं
  2. विश्‍वचैंपियन के आंसू
  3. बीच ब्‍यूटिशियन
  4. बेटा लिखो
  5. कौआ काली सौंदर्य
  6. संकल्‍प
  7. एक निर्भिक कोशिश
  8. मैं केवल आम का पेड़ हूं
  9. मजदूर
  10. भूखे
  11. काश मैं लौट पाता

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

मोहम्‍मद राफी को श्रद्धांजलि

 

 

तीस साल पहले

मोहम्‍मद राफी स्‍वर्ग पहुंचे

पीड़ा से गुजरते लोगों को

सांत्‍वना देने

ईश्‍वर द्वारा भेजे गए संगीत का गंधर्व

सरल सौम्‍य व शालीन

सरस्‍वती का अनुगृह था उन पर

रियाज की घंटों

जब उन्‍होंने सुर लगाया

ओ दुनिया के रखवाले

सारी दुनिया ने उसे सलाम किया

मार्निंग वाल्‍क पर जाने पर

वह मेरे संग चलते

लता जी के साथ उनके गाए

गानों का क्‍या कहना

नश्‍वरता, तुम्‍हारा नाम मोहम्‍मद राफी है

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

फूलों का दूकान

 

 

मैंने दरवाजा खोला

गुलाब ने मुस्‍कुराकर कहा

सर सुप्रभात

मैंने मुस्कुराया

दरवाजा बंद की

ताला लगाया

और बाहर निकला

पत्‍तों ने मुझसे कहा

यात्रा की मंगलकामनाएं

लिलि फूलों ने कहा

स्‍वास्‍थ्‍य ठीक रहे

मैंने सभी को धन्‍यवाद कर

कॉलेज गया

शाम को लौटते वक्‍त

बेकरी में रूका

मिठाई खरीदने

 

बगल में

फूलों की दूकान थी

हारों में सजाए

गुलाब, लिलि

मुरझा गए थे

 

 

मैंने उनको

बुदबुदाते हुए सुना

अच्‍छी मृत्‍यु के

लिए शुभकामनाएं

मैं चौंक गया

यह मेरे लिए ही नही

आते जाते सभी के लिए था

मैंने खुद को तसल्‍ली दी

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

राहुल की दुनिया

 

 

राहुल कलास से बाहर निकलो

अध्‍यापक ने कहा

राहुल रो पड़ा

बाहर खड़ा रहा क्‍लास के

 

उसने गृहकार्य पूरा नहीं किया

आखिर गलती

किसकी थी

शराबी पिता

पीटता है मां को

राहुल को

खाने के थाली को

लात मारता है

रात भर वह सोया नहीं

क्रूर पिता

क्रूर अध्‍यापक

क्रुर दुनिया

बेचारा राहुल

चाहता है प्‍यार

 

 

 

 

 

 

सुख दु:

 

सुख व दु:ख

सिक्‍के के दो भाग हैं

हम इसे

सुबह उछालते हैं

ज्‍यादातर लोगों का

निर्णय गलत निकलता है

खुशी यदा कदा आती है

दु:खमहामारी है

और लंबे समय तक रहता है

खुशी धुंध है

दु:खहिम सा गिरती है

 

 

 

 

 

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